खता क्या थी मेरी ?
गतांक से आगे..
भगवान सिंह के बोलने पर ठाकुर साहब उसकी ओर देखते हुए बोले,"बता भगवाने कै बात है क्यूं तावल मचा रहिया है।"भगवान सिंह ने गनपत की हवेली के कागजात ठाकुर के सामने रखते हुए कहा,"पिताजी जी कागजा पै ताहरे दस्तखत लेने थे।कागज तो काहल ही बनवा लिया था पर आप रे दस्तखत चाहिए थे ।काहल गनपत रो हबेली आपनी हो जासी।फेर ताहरे जी मेह आये जो करीयो।"ठाकुर महेन्द्र प्रताप बहुत खुश हो गये चलो अब कनक बिटिया के अवशेष कहां है यह पता लगाना आसान हो जाएगा। ठाकुर साहब ने दस्तख़त कर दिए। भगवान सिंह बोला,"थेह अब आराम करो कल हबेली की चाबी ले ल्या गे।यह कह कर भगवान सिंह चला गया
ठाकुर साहब आज चैन की नींद सो रहे थे।दोपहर बाद खाना खाकर एक बहुत ही पुरानी किताब अलमारी में से निकाली बहुत धूल जमी थी उसपर । ठाकुर साहब को याद आया यह किताब एक पहुंचें हुए तांत्रिक ने दी थी ।इस में आत्माओं को कैसे वश में करते हैं ,उनकी मुक्ति के उपाय आदि लिखें थे।इसी किताब के कारण ही ठाकुर साहब की मां ने उनकी सारी जिज्ञासाओं पर पूर्ण विराम लगा दिया था क्योंकि अनुष्ठान करते हुए ठाकुर साहब की जान पर बन गयी थी।वो तो उनकी मां थी जो उन्हें मौत के मुंह से छीन कर लें आयी थी कौन सा ऐसा भगवान नहीं था जो उन्होंने नहीं धयाया। पर आज ठाकुर महेन्द्र प्रताप ने वो किताब फिर से निकाली थी अपनी कनक बिटिया को मुक्ति दिलाने के लिए।इसके लिए वो अपनी मां की दी हुई कसम भी तोड़ रहें थे। ठाकुर साहब ने रात तक वो किताब पढ़ी फिर एक कागज पर सारे सामान की सूची बना ली ।इतने ठाकुर साहब का रात का खाना बड़ी बहू रख गयी। खाना खाकर ठाकुर साहब निकल पड़े अपने सफ़र पर ।रात के साढ़े बारह बजे थे ठाकुर साहब अपनी मस्ती में चले जा रहे थे उनको ये भान ही नहीं रहा कि कनक उनके साथ साथ इतनी देर से चल रही थी । ठाकुर साहब जब चबूतरे पर पहुंचे तो देखा कनक नहीं है ठाकुर ने आवाज लगाई,"बिटिया! कहां है।आयी नहीं अब तक।"तभी पीछे से कनक की आवाज आयी ,"ददू मैं तो किती देर से आपके साथ साथ चल रही थी।"इतना कह कर वो जोर से हंसने लगी। ठाकुर महेन्द्र प्रताप उसकी ओर देखकर बोले,"आज मेरी लाडो खुश हैं।"तभी चहकती हुई कनक बोलीं,"वो आये थे।"ठाकुर बोले ,"कौन?सैफ।"कनक ने हामी में सिर हिला दिया। ठाकुर साहब बोले,"अच्छी बात है।अब आगे बता बिटिया क्या हुआ उसके बाद सैफ आया तुझे लेने।कनक फिर से खो गयी यादों में बोलीं,"हां ददू आये और मुझे लेकर भी गये।घर से जाने में रमा ने हमारी बहुत मदद की ।छोटी मां पड़ोस में कीर्तन था उसमें छोटे भाई को लेकर गयी थी हम
दोनों बहनों पर पहरेदार कालू को बैठा गयी थी पर कालू तो पहले ही नशे में रहता था जैसे ही उसकी झपकीं लगीं रमा ने मेरा कुछ सामान एक बैग में भर दिया था मुझे घर से बाहर भेजते हुए बोली,"जा दीदी जी ले अपनी जिंदगी।सैफ तुम्हें बहुत प्यार से रखेंगे। मैं जैसे ही हवेली से बाहर निकली सैफ बाहर ही खड़े थे। गाड़ी का इंतजाम पहले ही कर रखा था ।ददू मैं चल दी अपनी मंजिल की ओर ।
सैफ की बाहों में मैंने दोनों जहां की खुशियां पा ली।हम सैफ के घर ना जाकर उनके खेतों वाले घर में रुक गये ।सैफ बोले,"ओ मेरी प्यारी कनक मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम मेरे पास हो । मैंने कितनी मन्नतें मांगी ख़ुदा से कि तुम्हें मेरी झोली में डाल दें। मैं तुम्हें कभी नहीं कहूंगा कि तुम अपना धर्म बदलो ।हम दोनों धर्म कर्म , जात-पात से ऊपर होकर शादी करेंगे। जैसे एक इंसान दूसरे इंसान से शादी करता है। मुझे तो कुछ सूझ ही नहीं रहा था मैं तो अपने प्यार को एकटक देखे जा रही थी ।बस उनकी हां में हां मिला रही थी।सैफ बोले अम्मी अब्बू को मैंने तुम्हारे बारे में बता दिया था।उनको कोई एतराज़ नहीं है वो तो कह रहे थे बेटा घर की बहू को घर ही ले आओ पर मैंने सोचा कि मेरे परिवार की तरफ से तो नहीं तुम्हारे घर वाले बखेड़ा खड़ा कर सकते हैं।इस लिए तुम्हें यहां ले आया। मुझे छोटी मां का डर तो बहुत लग रहा था पर सैफ की बाहों में अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही थी।दो ही दिन में मैंने सारे जहां की खुशियां पा ली।
एक दिन सैफ कहीं गये थे शायद अपने अम्मी अब्बू से बात करने गये थे मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ गये थे। मैं खेत की मुंडेर पर बैठी थी तभी मैंने देखा कालू इधर ही आ रहा था। मैं भाग कर घर में चली गयी। मैंने सोचा उसने नहीं देखा पर मैं ग़लत थी(क्रमशः)
Arman
02-Mar-2022 05:40 PM
Nice
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Monika garg
03-Mar-2022 08:31 PM
धन्यवाद
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Marium
01-Mar-2022 04:57 PM
बेहतरीन
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Monika garg
01-Mar-2022 06:47 PM
धन्यवाद
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Seema Priyadarshini sahay
22-Feb-2022 06:04 PM
बहुत सुंंदर भाग मैम
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Monika garg
22-Feb-2022 09:03 PM
धन्यवाद जी
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